Wednesday, August 4, 2010

शून्य में अस्तित्व

अणु का शून्य में विलयन"..............

मन को भ्रमित करता है

आकृति में कटाव करता है

'काल' की उपस्थिति दर्ज करता है

अस्तित्व मेटने का दावा करता है.

उस "घोल" में डुबकी से इनकार करता है.........

वो 'उस मिलन' से दूर भागता है.

"काल" के इस षणयंत्र को तोड़ सच का संज्ञान

शून्य में समा जाना ही है अस्तित्व की पहचान!!