Saturday, March 6, 2010

इस बच्चन 'भाई' से डरना जरुरी है...........!!!

अमिताभ बच्चन कभी गरियाते थे....अब डरा रहे हैं.....सीधे सीधे कहूँ तो औकात बता रहे हैं....वो भी उसको, जिसकी वाकई बाज़ार में कोई हैसियत है. देश के सबसे बड़े मीडिया समूह के मालिकों की हैसियत नाप कर रख दी...."बच्चन घराने" के मालिक बच्चन साहब ने. उनको धमका दिया सरे बाज़ार....”या तो सार्वजानिक रूप से माफ़ी मागो नहीं तो...............................!!” है न अपने महानायक में दम!
इस मीडिया समूह के मालिक की गलती सिर्फ इतनी सी थी कि उनके स्वामित्व वाले अखवार ने खबर लिख दी कि बच्चन घराने को वारिस मिलने में वक्त लग सकता है क्योकिं घराने की 'इंटरनेशनल बहूजी' को पेट की टीबी होने की खबर है. और इन हालातों में बहुजी फ़िलहाल देश को कोई खुशखबरी देने में असमर्थ हैं.

बस बच्चन साहब हो गए गर्म....खुद भी गर्म...उनके घराने के 'छोटे भैया' भी गर्म और छोटे भैया का 'भानुमती कुनवा' तो गर्मी से उबलने लगा. लोकशाही के चौथे खम्भे में दोलन होने लगा.....लगा कि भूचाल न आ जाए...कई अखबार, मैगजीन और एक अंग्रेजी चैनल चलने वाले मालिकों का कलेजा मुहु को आ गया....

चलो बात को और खोल देते हैं.....ये समूह है "Times of India" और इसके अखबार "Mumbai Mirror" ने छापी थी खबर. रिपोर्टर को सोर्स से खबर मिली थी....एडिटर की हरी झंडी मिली और खबर छप गई. घराने ने सबसे पहले काले कोट बालों को बुला भेजा...’.जलसा’ पर क़ानूनी किताबों का सालसा हुआ....संबिधान को भी खगाला गया.....तब जाकर नोटिस लिखा गया....अखबार के एडिटर और रिपोर्टर को लपेट लिया गया.....अखबार के दफ्तर पर क़ानूनी कार्यवाही की सूचना चस्पा कर दी गई...कि आपने एक कुलीन महिला के मातृत्व पर सवाल उठाया है और इसके लिए संविधान के अनुच्छेद २१ के तहत अपराध सिद्ध होता है.

बेचारे ताकतवर-अरबपति! बच्चन घराने के साथ मीडिया समूह के मालिकों का पुराना रिश्ता रहा है सो उन्होंने व्यकिगत संबंधो के आधार पर मामले को निपटाने की कोशिश की. मरते क्या न करते, घराने के दरबार में फोन लगाया.... हाथाजोड़ी की. लेकिन बच्चन साहब न माने. धमका कर फोन पटक दिया.

लेकिन किस्सा यहीं ख़त्म नहीं हुआ....अब बच्चन साहब कोई मामूली आदमी तो हैं नहीं....एक घराने के मुखिया हैं! वो एक्टर ही नहीं सदी के महानायक हैं....प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति तो छोड़ दीजिये....टीवी और अख़बारों में उनकी महानता का गुणगान राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी से भी ज्यादा होता है......महात्मा की जयंती और बरसी आती है तो टीवी में ३० सेकेंड का फूटेज चल जाता है और अख़बारों में एक फोटो के साथ दो लाइन. लेकिन बच्चन साहब के जन्मदिन पर तो, बकौल टीवी-अखबार: हर परिवार में जश्न मन रहा होता है.....राष्ट्रीय पर्व से भी ज्यादा ख़ुशी दिखाई जाती है......जैसे कि पूरा देश 'जलसा' के द्वार पर महानायक के दर्शन की प्रतीक्षा में खड़ा होता है......ऐसे में किसी मोहल्ले में मौत हो जाये तो पड़ोसियों को कन्धा देने का फुर्सत नहीं..... लेकिन ये बात भी अब पुरानी होने लगी है....अब तो बच्चन साहब फेमिली पैकेज मागने लगे हैं.....


यहाँ तक तो ठीक है.....लेकिन बच्चन तो ठहरे बच्चन..सो जनता के बीच पहुँच गए.....फिर जैन बंधुओं की हैसियत को सड़क पर ला पटका. अपने पिछलग्गू टीवी चैनल्स को टीआरपी की खुराक दी...बच्चन टीवी पर आये और 'अपराधी मीडिया समूह' को जमके धमकाया. राजनीती छोड़ दी हो पर राजनेता की तरह समझोता फार्मूला देने से भी नहीं चूंके. बच्चन साहब ने एलान क्या कि वो टाइम्स समूह के फिल्म फेयर पुरुस्कार समारोह में नहीं जायेंगे...वो खुद ही नहीं पत्नी-बेटा-बहुरानी भी नहीं जायेगे.....नाचेंगे-गायेंगे भी नहीं..... यानी आगे कि चार कुर्सियां खाली और पीछेवाली कुर्सी पर छोटे भैया-कुनबे सहित भी मौजूद नहीं होंगे........पूरी की पूरी पैकेज डील...
बच्चन साहब ने जैन बंधुओं(टाइम्स के मालिक) को ये भी याद दिलाया कि जब भी इस समूह को उनकी जरुरत हुई, वे हाज़िर हुए....लेकिन अब ये नहीं होगा. ये बात अलग है की बच्चन साहब के घराना स्थापित करने से पहले ही फिल्म फेयर की अपनी जागीर है......फिल्म फेयर के बेनर तले सैकड़ों फ़िल्मी हस्तियों के करियर को प्रमोसन मिला.....वो खुद भी उनमे से एक हैं.....अब स्टेज शो तो कोई मुफ्त में करता नहीं है....सो फिल्म फेयर को अपने प्रमोशन के लिए उनकी कितनी जरुरत होगी...ये आप फैसला कर लीजिये.

लेकिन बच्चन साहब तो ठहरे महा-मानव.....तो वो असलियत को क्यों माने......

कुछ वक़्त पहले भरतपुर में हमारे गुरूजी के अड्डे पर बहस भी छिड़ी कि अमिताभ बच्चन के खिलाफ कोई बोलने की हिम्मत क्यों नहीं करता......हालाँकि गुरूजी भी बेल्बोटम वाले अमिताभ के प्यार की जंजीर में जकडे रहे हैं.....फिर भी वो ये जानना चाहते हैं कि मीडिया से लेकर फ़िल्मी खिलाडियों तक - सभी अमिताभ से डरने क्यों लगे हैं............अचानक वो इस कदर ताकतवर कैसे हो गए?? उनके पॉवर प्ले का राज क्या है??

तो ये कोई एक दिन में खड़ा नहीं हुआ.....बच्चन परिवार से बच्चन घराने तक के सफ़र में राजनीती/सत्ता से कभी भी दूरी रही ही नहीं............माता-पिता की नेहरु से दोस्ती.....फिर इंदिरा गाँधी से पारिवारिक रिश्ता.....फिर अमिताभ-अजिताभ की राजीव-संजय गाँधी से भाईबंदी....फिर राजीव गाँधी के साथ संसद में अमिताभ का प्रवेश..... बोफोर्स से घायल होकर अमिताभजी का संसद को अलविदा....फिर घराने में 'समाजवाद' का प्रवेश....देवर अमर सिंह की रहनुमाई में जया बच्चन पहुच गईं संसद....फिर 'एश' जुडी घराने की बहु बनकर....यूँ ये बन गया बोलीबुड़ का सबसे बिकाऊ फॅमिली पैकेज!

टाइम्स के जैन भाई सोच रहे थे कि ये वही अपने विजय उर्फ़ अमिताभ बच्चन हैं.....मामला संभल जाएगा.....और न भी संभला तो अदालत में देख लेंगे....पर उन्हें महानायक के पोवार प्ले का अंदाज़ नहीं था...और उसी का खामियाजा भुगता भाइयों ने.

खैर बच्चन साहब नहीं गए फिल्म फेयर अवार्ड फग्सन में. पर अवार्ड तो दिए-लिए गए.....आगे की चार कुर्सियों पर नए लोगों को बैठने की जगह मिल गई. फिल्म फेयर समारोह में किसी को कोई कमी दिखाई नहीं दी. पिछले एक दशक में शायद पहली बार एसा हुआ कि किसी अवार्ड सेरेमनी में बच्चन फॅमिली पैकेज नहीं था. एक शगल सा बन गया था ये कि.....हर जगह बच्चन ही बच्चन....!!
अभी आप सोचेंगे हमने बेचारे बच्चन साहब को बदनाम करने का ठेका ले रखा है....तो प्लीस सच मानिये हमारी इतनी हैसियत नहीं कि हम आपके महानायक से दोस्ती या दुश्मनी कर सकें. हम तो सिर्फ महानायक के महाकाय स्वरुप को नजदीक से देखने भर की कोशिश कर रहे हैं...
सच कहें तो.....बच्चन साहब भले ही जैन बंधुओं की किरकिरी कर डाली हो.....एन अवार्ड समारोह के मौके पर सार्वजानिक माफ़ी मागने की मांग कर डाली हो.....जैन बंधुओं की कमजोर नब्ज पर हाथ डाल दिया हो..... लेकिन इस बार पासा खुद के लिए भी उल्टा ही रहा... उन्हें लगा कि टाइम्स ग्रुप अपनी गरज की खातिर मुहं में तिनका दबाये जलसा पर हाज़िर होकर हाथ जोड़ेगा....टाइम्स ऑफ़ इंडिया, मुंबई मिरर से लेकर टाइम्स नाओ पर माफीनामे की हेडलाइन होगी! यहाँ तक कि उनके सपने में भी आया हो कि फिल्म फेयर के स्टेज के बेकड्रॉप पर भी माफीनामा लिखा हो....! एसा हो न सका. यहाँ सवाल उसी नैतिकता का हो गया जिसकी दुहाई बच्चन साहब देते रहे हैं. जब साहब ने क़ानूनी जंग छेड़ ही दी....
एडिटर-रिपोर्टर को सजा दिलाने की मुहीम शुरू हो ही गई तो फिर व्यक्तिगत और सार्वजानिक रहा क्या.. माफ़ी मगवाने का ढोंग क्यों???????? अदालत में मुक़दमा लड़िये और अपराधियों को सजा दिलवाइए! पब्लिक से सहानुभूति क्यों मांग रहे है???? गलती मुंबई मिरर की तो फिर दुशमनी फिल्म फेयर से क्यों.....जैन परिवार को उलाहना किस बात का......... जब-जब उनके ग्रुप ने बुलाया तो नाचने-गाने का मेहनताना दिया.......अवार्ड देकर नाम बड़ा किया....फिर इस बयान के मायने क्या कि जब टाइम्स ग्रुप को जरुरत पड़ी तो बच्चन घराने ने साथ दिया!!
पर भाई...यही तो बच्चन घराने का पॉवर गेम है.....वक़्त-जरुरत के हिसाब से चाल चलो....जीत हमेशा अपने कब्जे में रखो. इसीलिए तो छोटे भैया के लिए इस कदर मुलायम हो गए कि सरेआम झूठ बोले: "यूपी में दम है क्योंकि जुर्म यहाँ कम है".... अब छोटे भैया असमाजवादी हो गए तो साहब ने मोदी का दामन थाम लिया----- गुजरात पर्यटन के ब्रांड एम्बेसडर बन गए...अपनी फिलम टेक्स फ्री करवा ली.....मोदी के साथ गलबहियां डाले उन्हें कोई शर्म भी नहीं आयी...क्योंकि भैया पैसा तो कमाना ही है... गाँधी से पट नहीं रही-मुलायम से 'छोटे' की खटपट हो गई तो अब मोदी का भगवा रंग ही सही!

बच्चन परिवार के बच्चन घराना बनाने पीछे यही पॉवर प्ले है.....जिसका मूल मंत्र है : "सत्ता-राजनीती से नजदीकी-किसी भी कीमत पर". सत्तानाशीनो से कैसा भेद! और जब अमिताभ मासूमियत से कहते हैं की "वो राजनीती नहीं कर सकते" ---तो लोग कहते हैं वह क्या बात है! लेकिन असल में यही तो बात है.....अमिताभ और उनके घराने से बेहतर राजनीती करना कोई जनता ही नहीं है. इसी के बल पर वो लोगो को डराते हैं. उनकी मासूमियत और ईमानदारी पर हम भरोसा करें भी तो कैसे? वो कलाकारी करने से बाज़ भी कहाँ आते हैं.

ऐसे खेल वो करते ही रहे हैं.... जमीन की खातिर किसान बन जाते हैं.....गरीब किसानो के हिस्से की जमीन औने-पौने दामों में हड़प ली. फिर अपनी बहु के नाम से कॉलेज बनाने की नीव रखी...सुर्खियाँ बटोरीं...अपनी महानता के किस्से गढ़वाए गए...और बच्चन साहब गायब हो गए..... कॉलेज बनाने का जिम्मा एक एनजीओ को दे दिया. यानि फर्जीवाडा करने से उनको कोई परहेज नहीं...

फिर भी हम उनसे चिपकते हैं...पूजा करते हैं....पीछे भागते हैं......लेकिन डरते नहीं! अरे भाई अमिताभ बच्चन से डरना जरुरी!!



वो तीन दशक से समझा रहे हैं.....................::

"मेरे दीवानों मुझे पहचानो"......अबे यार अब तो पहचान लो..........अबे सुनो न..ये क्या नायक-महानायक लगा रखा हैं..... मैं हूँ 'डान'!! तुमको मुझसे डरना होगा....तुमने सुना नहीं हमारी पत्नीश्री ने फिलम बनाई थी तुम सब को हमारी असलियत बताने के लिए... 'रिश्ते में हम तुम्हारे बाप लगते हैं लेकिन नाम है शहंशाह'!

लेकिन हम हैं कि................................!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

11 comments:

  1. बढ़िया लेख पर एक बात बताइए क्या हर जानकारी खबर हो सकती है ,किसी की घर की बहु का स्वास्थय या प्रजनन सम्बन्धी दोष कोई मनोरंजन का अंश रखता है ,अगर अमित जी को सुपरस्टार की जगह एक ससुर के रूप में देखिये तो किसी भी का भी खून खौल जाएगा.
    अरे भाई कुछ तो निजता रहने दो

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  2. "बढ़िया पोस्ट राम। मैने जब ये खबर पढ़ी थी तो मेरा कलेजा मुँह को आ गया था तैयारी कर ली थी मुंबई जाने की सहानुभूति प्रकट करने का इससे
    अच्छा मौका कब मिलता........पर सब खत्म हो गया। हा..हा.हा
    ये तो मज़ाक हुआ पर उस रिपोर्टर का क्या हुआ..वैसे पूरा लेख सत्य पर आधारित है और सत्य तो हमेशा कड़वा होता है......."
    प्रणव सक्सैना
    amitraghat.blogspot.com

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  3. Good posting
    Read both of the comments,
    आपके साथ साथ दोनों की बात भी तो ठीक ही है
    निजता भी कोई चीज़ है जिसका ध्यान रखना चाहिए ..........
    " वैसे फ़िल्मी हस्तिओं पर ये कैसे और कब लागू होता है ? कोई नहीं जनता ":
    दूसरी ओर
    बच्चन को सुपर स्टार किसने बनाया ?
    निश्चित ही मीडिया ने !
    देश मे कितनी माँ है जो गर्भाशय सम्बन्धी दोष के कारण बच्चे को जन्म नहीं दे सकती
    अगर मीडिया उनके बारे मे लिखता तो ..............
    शायद ---------कुछ NGO उनकी मदद करने को आगे आ जाते !
    और वे जरुरत मंद लोग .........ढेर सारा आशीर्वाद दे रहे होते !
    चूहे को शेर किसने बनाया ????????????
    अब अगर शक्ति है
    तो ........."पुनर्मूषकोभव" का आशीर्वाद देने का समयआ गया है
    मेरी शुभ कामनाएं !
    परन्तु .............
    इस देश की ८० % असहाय जनता का भी कल्याण करने का ठेका नहीं तो .........
    प्रयास अवश्य प्रारंभ कर देना चाहिए
    आज बच्चन नहीं मीडिया सबसे ताकतवर है
    दोष किसका है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
    ये तो अन्योन्य सम्बन्ध ही हैं ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
    परिणति सामने है
    फिर भी लिखते रहिए
    शुभ कामनाएं
    " गोकुल से "


    Regards,
    Dr.Acharya L S
    Dy. Commissioner
    IIV U P SJAB

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  4. khabar ki khudati hai kabar
    khich di jati hai jaise rabar
    ab tu na kisi se dar
    khabaro ki duniya gud gobar.
    chirag sharma chittorgarh

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  5. Hey !!!!!!!!!!!!!! bhaiya !!!!! well, aap mughee to kayi guna achha likhte hain , vaise to meri hindi ek daam dabba hai,chalo is bahanein aapki thinking ko thk karne ka mookaa mila ,love,tanushree

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  6. Hi mamaji.....let me reply in English.just to tease u.....well seems u hv become a good journalist..putting lot of spices to it......just got spell bound.......well to be true something shud hv been personal and so i cant say dat d media group is exactly correct but at d same time Bachchans made it over hyped and used their superpowers which is no way so fair....anyways then u hv raised other issue of playing politics by moving from cong to samajwadi then from there to Modi.....and even if v dont speak, it itself speaks a lot anout how non-political Mr.Bachchan is and how gentle too.....Keep writing....Devesh

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  7. are waah....

    sabse badi baat to ye ki bachchan sahab ke hisaab se wo apne parivaar ke mukhiya hain aur ye unki zimmedari hain ki koi unke parivar ki mahilaon par ungli na uthaye...Miss World reh chuki unki bahu apne paksh mein kuch bhi kehne ki hesiyat nahi rakhti...wo ek aam bhartiye maila ki tarah sasur aur pati ko apna rakshak maanti hain...
    samajh nahi aata abhi aurton kitna safar karna baaqi hai

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  8. शानदार राम भाई आपने तो बच्चन साहब की.............

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  9. कहीं आपका कमेन्ट पढ़ा तो चले आये देखने .....बहुत खूब लिखते हैं आप स्वागत है ......!!

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  10. Really great piece of writing ...........
    some of your points are good as the incident you have described is truly an example of overreaction
    Amitabh Bachhan is a national icon and respected citizen of india personally i respect him. in this case we can see he has over reacted like calling to those media channels and demanding an apology but exactly news should not be shown even if it telecast ed ash herself should state on the issue or she can show pity on the issue .
    here i would like to say don't judge a man by only one incident amitabh 's life is a great episode and it should not be summed up by only one story it would be character assassination.
    one more thing i live in gujrat i don't find any problem if Mr Bachhan becomes ambassador of the state that is nowhere connected to politics.
    Riots episode is under law process and Mr Modi himself disapproves all kind of such mis happenings if you see gujrat has the highest growth rate in india. connecting gujrat with communal riots all the time and criticism of Mr Bachhan because of being state's ambassador hurts gujrati culture and defame the state.
    gujrat can not become untouchable because of a single accident you have to see other criteria like Mr Bachhan is getting associated with highest developing state. same in the case of gujrat. Media is powerful no doubt but you people are desperate to generalize every thing only happening can not judge Mr Bachhan or Gujrat or Mr Narendra modi..........

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  11. VERY WELL WRITTEN. a NATIONAL IDOL BEING PAMPERED TO NO END. Normally children bask in the reflected glory of thier parents, where in this case Dr. Harivansh Rai Bachchan is basking in the reflected glory of his son. Unfortunately, we we do not have him around. Not to mention other poets like Maithili sharan Gupta, Mahadevi Verma, Unfortunately their children and bahajis do not receive media attention. Although they might be greater poets. yOU see you must capture media attention.Dr.Varun Kaul.

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