Tuesday, March 23, 2010

बलात्कार.....एक छोटी सी बात!!!

बलात्कार....खूब करो....जब चाहे...तब करो....टेन्सन की कोई जरुरत नहीं. कानून क्या कर लेगा??
पहली लाइन पढ़कर ही आपने गलियाँ देना शुरू कर दिया होगा....कुछ ने तो मेरे चित्र पर जूते मार भी दिए होंगे........महिलाओं के हक-हकुकों के स्यंभू ठेकेदार NGO वाले तो चल पड़े होंगे मेरे खिलाफ 376 का मुक़दमा दर्ज करने..........!!!
प्लीज़ रुकिए...में बलात्कारी नहीं हूँ और न ही बलात्कार का प्रचारक....माफ़ कर दीजिये मुझे.. मैं तो आपको सच की बदसूरत तस्वीर दिखाने लगा हूँ!!
जी साब...मेरी बात मानिये.... बात तो सुन लीजिये प्लीज़!!!!!!!!!!!!!
गलती मेरी नहीं है आजकल ये चल निकला है.....बलात्कार करना कोई कठिन काम नहीं रहा....अभी बलात्कार करो....कुछ घंटों बाद मुक्त....छोटी सी कीमत चुका दो...बस!!
वाकई में यही हुआ. कल में दफ्तर में बैठा था...मेरे साथी अगले दिन की खबरों की प्लानिंग में जुटे थे.....तभी आधी रात को एक खबर आई...नबाबों के शहर रामपुर से. (इसे अब जयप्रदा-अमर सिंह-आज़म खान के नाम से भी जाना जाता है).....रिपोर्टर बोला...नाबालिग के साथ बलात्कार हुआ..पंचायत ने लड़की के घरवालों को तीस हज़ार रुपये दिलवाकर इस बात को भूल जाने के लिए कह दिया. पुलिस में कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई जाएगी.
खबर तो क्या....लगा कि जैसे बाईबल से कोई सेटन के स्पीच सुना रहा हो! काम ख़त्म करके घर जाने से पहले दिमाग का कचरा हो गया.....
बरिष्ठ सहकर्मी रुपेश श्रोती मेरे पास आये और खबर पटक कर बोले कि खबर बड़ी है.....इसकी 'पंच-लाइन' लिख दो.....आप लिखोगे तो सुबह की मीटिंग में खबर को हाथों-हाथ उठा लेंगे.
मूड उखड़ा हुआ था....मन उद्वेलित था....लेकिन क्या करता...जिस धंधे में हूँ...उसमे भावनाओं का कोई अर्थ नहीं....काम तो करना ही है सो, कीबोर्ड पर उंगलियाँ चलने लगी...अनमनी सी...पाँच पंक्तियाँ लिखी:
" बलात्कार का खुला है बाज़ार
पंच बन गए हैं दलाल
बम्पर ऑफर है इस बार
बलात्कार करो...तीस हज़ार दो
बलात्कार करो...सिर्फ पांच जूते लो"
एक महिला की इज्जत की कोई कीमत नहीं...ये जुमला हम सुनते आये हैं लेकिन 'पंच परमेश्वरों' ने हालत बदल दिए हैं....उन्होंने महिला की इज्जत की 'कम' ही सही पर कुछ 'कीमत' तो तय कर ही दी. अब वो गरीब नाबालिग लड़की...उसके माँ-बाप नहीं हैं...चाचा के साथ रहती है. वो क्या करे जवान होने लगी...तो अनाथ लड़की कैसे बचे मर्दों की मर्दानिगी से...सो तीन दिन पहले उसके साथ बलात्कार कर दिया गया...अब बेचारी रोये कैसे...और किससे मांगे न्याय?? गाँव में पचायत लग गई...बड़ी बात तो ये कि पंचों को पीडिता ने नहीं बल्कि "उस मर्द" ने बुलाया....फैसला कर दिया पंचों ने...अनाथ-गरीब को ३० हज़ार देने का एलान कर दिया गया. पुलिस में जाने की मनाही कर दी गई.
ये कोई नई बात नहीं है जो मैं आपको बता रहा हूँ. महज़ छह दिन पहले गाजिआबाद में पंचायत-वादियों ने यही किया.....एक 'मर्द' ने लड़की की इज्जत लूटी और पहुँच गया पंचों की शरण में...पंचायत के मर्दों ने अपनी ताकत का इस्तेमाल किया और "मर्द" को पांच जूते की सजा देकर छोड़ दिया गया...लड़की को न्याय मिल गया???????? पंचायती-मर्द मूछों पर ताव देकर निकल लिए.
ऐसे सैकड़ों केस होते हैं हिंदुस्तान में जहाँ बलात्कारी को अगला बलात्कार करने के लिए छोड़ दिया जाता है......
पंचायतों ने दलाली की एजेंसी खोल ली है......बलात्कारी को बचाने के लिए वो कुछ भी कर लेते हैं..... अब बताइए कि मैं कहाँ गलत था....क्या अब भी आप मुझे गरियायेंगे या फिर कुछ शर्म-हया खोजने निकलेंगे...............................!!

6 comments:

  1. छिः छिः .....और क्या कहूँ ?....
    अब तक तो मूड ठीक था...पहेलियों से......
    .......
    विलुप्त होती... नानी-दादी की बुझौअल, बुझौलिया, पहेलियाँ....बूझो तो जाने....
    .........
    http://laddoospeaks.blogspot.com/2010/03/blog-post_23.html
    लड्डू बोलता है ....इंजीनियर के दिल से....

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  2. सच कहूं राम जी , अब तो मुझे लगने लगा है कि और अपराधों का तो पता नहीं मगर बलात्कार का सिर्फ़ एक ही ईलाज़ है कि उन्हें सरेआम पीट पीट कर मार डाला जाए है ..या पीडित के परिवार में से कोई उसकी हत्या कर दे ..शायद इससे कुछ डर पैदा हो ....और किसी रास्ते से ये रुकने वाला नहीं है
    अजय कुमार झा

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  3. kanun kaya kar lega ...yahi sonch kar aisi ghatnaayen ghat jati hay.samaj me naitik charitra ki kami ka andaza isi baat se lagaya jaa sakta hay ki ek nabalik ladki ki izzat ka 30000 kimat laga liya jata hay...aur gunahgaar khule aam shahar me ghumta hay..kisi aur maa bahan ke izzat kharab karne ke liye..
    balatkaari koi ho samaj ko use jinda rahne ka haque nahi dena chahiye..raha sawal kanun ka to bhaiya kanun to kanun hay...sahi me kaya kar lega..

    aapka aalekh chintan ke mud me laakar khada kar diya.

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  4. दिल दहल गया ये किस्सा सुन .....निःशब्द हूँ ....!!
    कल जब उस लड़की शादी हो ....तो क्या पता यह कह कर उसे छोड़ दिया जाये तुम तो बलात्कारी हो ......???

    आपका लेखन काफी सशक्त है .....!!

    ye word verification hta lein .....!!

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  5. हर सू तमाशा है
    हर सिम्त तमाशाई हैं...
    जहां से झांकती थी उम्मीद कोई...
    उन दरों पर भी बाज़ार की रंगत उतर आई है

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  6. Comment before me says the whole thing u really write superb .....these incidents are really painful and shameful for a democratic country we people are very hypocrite as we worship girls and feed them in navratris they are supposed to be small goddesses ........after reading this article adrenaline shows hyper impact as one of the comment has said kill all the rapists .......
    everything is right but my dear friend now a days time has changed everything has negative points some times physical relations made by conscience of both mates. some of the times laws can be misused as people can blackmail or even because of some misunderstanding or just for personal revenge these cases can be registered .
    i am sure most of the time woman is on receiving end but some times innocent boy's life can be endangered we should take some steps like making prostitution legal or define urban limit. so migration or frustration can be stopped till some extent.

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