राम-रहीम, रटते हैं हम
अरदास-प्रार्थना, करते हैं हम
मंदिर-मस्जिद में बंटते नहीं हम
एक ईमान, एक मकसद हैं हम
अहले वतन के आशिक हैं हम
मिटटी की सौगंध खाते हैं हम
न बटेंगे, न लड़ेंगे, न भड़केंगे हम
वायदा ये करते हैं हम
फैसला चाहे जो भी हो.......
हिंद हैं हम भारत हैं हम
हिंद ही रहेंगे हम.
Tuesday, September 28, 2010
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