Wednesday, January 6, 2010

जीवन की बात

चलिए तो बात शुरू करते हैं.........सालों से सोच रहा था की ब्लॉग लिखूंगा पर लगा की टीवी में रहते रहते लिखवाटीपन से कब के दूर हो चुके है....लिखने की हिम्मत नहीं हुई....फिर सोचा की बात तो कर ही सकते है....बात तो हमारे काम और जीवन दोनों का अकाट्य सच है....यूँ सिलसिला चल निकला है बात करने का.....आज की बात जिन्दगी पर ही करेंगे....क्योंकि में जी भर के जीना चाहता हूँ और बाते करना चाहता हूँ.....एकदम निपट, सपाट और साधारण !जिन्दगी से बेहतर बात क्या होगी......
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जिन्दगी का आनंद जीने में ही है! बिना बहाने के जियें.....एक बार जीना तो शुरू करें....भले ही बेमकसद ही सही....लक्ष्य के बिना भी..........लेकिन जियें, जी भर के जियें.....जिन्दगी की राह में सब कुछ मिलेगा.....ये पुष्ट करने या सिद्ध करने की जरुरत नहीं है...कोई उदहारण भी नहीं चलेगा....क्योकि जिन्दगी खुद ही जीनी है....एक बार दिल लगाकर जीकर तो देखें.

जीते जीते मकसद मिलेगा....फिर अचानक मंजिल नज़र आएगी और हमें पता भी नहीं चलेगा की कब लक्ष्य को छू कर आगे निकल गए....किसी तलाश में नहीं..... बल्कि, सिर्फ जिन्दगी की रों में जिंदादिल की तरह....स्वच्छ-धवल-तरल नदी की तरह जिन्दगी के बहाव में निकल जायेंगे.....खुश-मस्त हिलोरे मारते हुए .......हर मुकाम पर निकलती जाती मंजिलों को चूमते हुए,......निडर, बेखटके जीते चले जाओगे......बस एक बार जीकर तो देखें.....

उद्भव और अंत की चिंता से दूर......क्योंकि जब जीवन का बीज हमारे बस में नहीं तो नाश की सोचने की फुर्सत भी क्यों कर हैं? जीवन कभी युद्ध नहीं था....जीवन आज संघर्ष भी नहीं है.......जीवन कष्ट रहित है...... निष्कंटक है....हमें ना श्वांश की परवाह करनी है और ना धड़कन की.....मौत कब आएगी वो भी पता नहीं.....हमें तो बस जीना है....एक ही मंत्र है...."जीते रहो".
हम सभी वैरागी ही तो हैं.....फिर पता नहीं क्यों खुद को भोगी समझने के चक्कर में पड़ जाते है....जीना कोई भोग नहीं है...ये तो प्रकृति-पुरुष का योग है....हम जाने क्यों इससे वियोग पाल रहे है.....ख़ुशी से दूर भाग रहे है....कभी लगता है की जैसे दुःख में रत रहना हमारी मजबूरी हो गई है.....हर पल-हर छोटी बात के लिए युद्ध लड़ना ही हमने अपनी नियति मान ली है. गम से एसा नाता जोड़ा है कि मुस्कराना छोड़ दिया है.......सर्वे करने की जरुरत नहीं....अपने आस पास नज़र घुमाइए दूर तक शायद ही कोई मुस्कराता मिले.....
जबाब मुश्किल नहीं है....बस वही कि हमने जीना छोड़ दिया है तो मुस्करायेंगे क्या ख़ाक! तभी तो शायर को ये कहना पड़ा......
"या तो पागल-दीवाना हँसे, या जिसे तू तोफीक दे.
वरना इस दुनिया में आकर मुस्कराता कौन है. "
जीकर देखो प्यारे......पागलपन की हद तक जियो.....दीवाना बनकर हंसो.....हमारी जिन्दगी तो ख़ुशी से लबालब हो ही जायगी, साथ में दुनिया में ख़ुशी भर देंगे....कष्ट, चिंता, संकट, बाधा----ये सब बोने नज़र आयेंगे....जीवन संघर्ष का भाव बदल जायेगा......तो फिर हमारे लिए असफलता - सफलता में क्या फर्क रह जाएगा.....
मौत कभी डरावनी नहीं थी.....हम तो जिन्दगी से डरते है, क्योंकि दिल खोलके जीना जो नहीं आता. इसी चक्कर में मौत को भयाभय बना लिया है....जो उस सच को झुठलाने की कोशिश करते हैं....मौत के बाद कफ़न-दफ़न की तैयारी विकराल स्वरुप में होती है.....मुक्ति का तमाशा बना कर रख देते हैं हम.......और यूँ ही जिन्दगी तमाशा बन जाती है......

15 comments:

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  2. It is nice to see you writing a blog. i knew that you are an acumen of journalism but this ultimate learning of human behavior and liveliness of life will come from you in this lovely format i never expected. It really remains very easy for a person to write about his core areas like journalism, marketing, management, economy, business , corporations, but the life is really a mystery. one word becomes right or wrong and whole meaning is lost. here we can find the real meaning given to life is to pursue this unknown path in a natural and innocent way in this way we are always very close to ourselves and our heart can lead all the imaginations. in the true sense we are following our internal desire which means a lot this path brings a kind of satisfaction. this satisfaction is the real asset of a human mind what an individual can earn in his entire life. i hope your worthy words will clear our path further. with my best wishes for new year i welcome some worthy posts from you........

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  3. Dear RamKumar
    Nice to see you after long time. Batoon ka silsela jari rahega. Meri shubhkamnai.
    Dr.Kunjan Acharya.

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  4. creative and practical writing,shabdo ka kriyanwan baut accha hai ....jiyo jee bhar ke....good luck

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  5. your writing itself is full of life,just by reading your loud thoughts,one feels exhilarated! we can certainly call you a philosophical writer. the writer in you has finally emerged from the shell in which you had confined it.now that you have started,you must not stop. the idea of living life to the full is a very appealing one and everyone wishes to do it but the problem is that nobody really tries. you can be motivator for many in this field.

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  6. what a serendipitous discovery!i thought you were only a dull and boring journalist but you happen to be a sensitive writer too >keep talking i have lent you my ears

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  7. the last comment was by santosh not by me

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  8. जारी रहिये..बात चीत का सिलसिला चलता रहे..आप भी मुस्कराते रहें और हम भी:

    "या तो पागल-दीवाना हँसे, या जिसे तू तोफीक दे.
    वरना इस दुनिया में आकर मुस्कराता कौन है. "

    :)

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  9. स्वागत है ब्लॉग जगत में।

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  10. dear ram - nice to see you blog, requires a lot of dedication and determination to commence something new yet more daunting is to live through it. good luck.

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  11. Shubhkamnayen...!!
    Bahut-Bahut Shubhkamnayen.
    Jiye Jao...Bas.

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  12. ज़िन्दगी पर एक प्रसिद्ध ज़ुमला पेश है !

    ज़िन्दगी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
    जिंदा - दिली का नाम है !
    बुज़ दिल भी ,,,,,,,,,,,,,,,,,
    क्या खाक जिया करते है ?

    बहुत खूब आपकी जिंदादिली................!
    ब्लॉग पर आना अच्छा लगा.................!

    एक और छोटा सा छंद पेश ऐ खिदमत है !
    मुलाहिजा फरमाइए...........................!

    यूँ ही अठखेलियाँ करने का शगल हो, तो बुरी बात नहीं !
    दरिया से कोई सीप निकालो तो कोई बात बने.............!

    आचार्य .......

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  13. ज्वलंत समस्या
    प्रिय मित्र ,
    कृपया विचार दीजिए
    हमारे देश की प्रमुख समस्या क्या है ?
    देश का जनसँख्या विस्फोट
    महिला उत्पीडन (घरेलु या कार्यस्थल)
    देश मे व्याप्त भ्रष्टाचार
    (क) राजनैतिक भ्रष्टाचार
    (ख) जनसेवक भ्रष्टाचार
    (ग) न्यायाधीश भ्रष्टाचार
    (घ) अधिकारी गण भ्रष्टाचार
    (डं) कर्मचारी गण भ्रष्ट्राचार
    (च) आम जनता द्वारा भ्रष्टाचार
    (4)दहेज़ (लेना,देना,)या दहेज़ हत्या
    (5)कन्या भ्रूण हत्या
    (6)ऐड्स
    (7)हेपेटाइटिस
    (8)स्वाइन फ्लू
    (9) या कोई अन्य
    कृपया
    उपरोक्त मे से एक या अधिक जो भी आपके अनुसार प्रभावी हो
    अपने विचार स्पष्ठ लिखने का कष्ठ करें !

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  14. भटकते भटकते ना जाने कहीं मंजिल मिल जाएँ

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