नजरिया कुछ बात करने को मजबूर कर रहा है............
"परिधि की हर त्रिज्या के पार
विकास के लक्ष्य अपरम्पार
विचार का हो ऐसा विस्तार
आसमां की गहराई में हो साकार
क्षितिज पर वो 'अव्यक्त' विचार-सार"
Saturday, January 23, 2010
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आपकी पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगीं। आभार.
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