Saturday, January 23, 2010

पांच पंक्तियों की बातचीत

नजरिया कुछ बात करने को मजबूर कर रहा है............


"परिधि की हर त्रिज्या के पार
विकास के लक्ष्य अपरम्पार
विचार का हो ऐसा विस्तार
आसमां की गहराई में हो साकार
क्षितिज पर वो 'अव्यक्त' विचार-सार"

1 comment:

  1. आपकी पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगीं। आभार.

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